महंत श्री डॉ. नानकदास जी महाराज का जीवन परिचय
जगतगुरु रामानंदाचार्य जी महाराज के द्वादश शिष्य परंपरा में सबसे प्रमुख संत शिरोमणि संत सम्राट निर्गुण भक्ति धारा के प्रथम एवं भक्ति आंदोलन के प्रमुख तथा संत प्रवर्तक विश्ववंदनीय संत सम्राट सतगुरु कबीर साहेब के परंपरा में संत महंत डॉ. नानक दास जी महाराज का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के जायल तहसील के धिजपुरा (बड़ी खाटू) गांव में हुआ।
- संत श्री का जन्म: 30 सितंबर 1975 को एक साधारण ग़रीब परिवार में हुआ। आपके पिता श्री मदनलाल मेघवाल और माता श्री धापूबाई थे। आप 10 वर्ष की आयु में अपने गुरु परमहंस ब्रह्मनिष्ठ तत्वदर्शी परम सिद्ध महंत श्री देवीदास जी महाराज के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त करने लगे।
- शिक्षा और मानद उपाधियाँ: आपने जैन विश्व भारती से स्नातकोत्तर उपाधि ली और ITI, पॉलीटेक्निक, पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया। इसके अलावा, दो बार आपको मानद डॉक्टरेट उपाधि और भारत भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया।
- आध्यात्मिक यात्रा: आपने सतगुरु श्री 1008 श्री भोलाराम जी महाराज के साथ गहन अध्ययन किया और जीवन में योगाभ्यास, मौन साधना, सहज योग, शब्द सुरती योग और संतवाणी के पाठ में समय बिताया।
- समाज सेवा कार्य: संत श्री नानक दास जी महाराज ने नशा मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, जल संरक्षण और सामाजिक समरसता जैसे आंदोलनों में सक्रिय रूप से योगदान दिया। उन्होंने अनेक संस्थाओं की स्थापना की, जैसे "वन्य जीव एवं वन पर्यावरण ग्रामीण विकास संस्थान" और "राष्ट्रीय संत कबीर सरोवर"।
- सम्मान और पुरस्कार: पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए संत श्री को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, और अन्य राजनैतिक नेताओं ने उनके कार्यों की सराहना की और उन्हें शुभकामनाएँ भेजी।
- गुरु और साधना: आपने ध्यानयोग, योगाभ्यास और गुरु जी के सानिध्य में आत्म साक्षात्कार किया। संत श्री के प्रवचनों से कई लोग आत्मा के सत्य पथ पर चलने के लिए प्रेरित हुए हैं।
- समाज और संस्कृति के लिए योगदान: संत श्री नानक दास जी महाराज ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति और हिंदी का प्रचार प्रसार किया और समाज में एक अलग पहचान बनाई। उनके प्रेरणादायक कार्यों से हजारों लोग प्रभावित हुए और उनके मार्गदर्शन में सही पथ पर चले।
आभार
मेरे जीवन के आदर्श हैं दो हस्तियां – श्री सी. आर. चौधरी साहब एवं पद्मश्री हिम्मताराम भाम्भू साहब: महंत श्री डॉ. नानक दास जी महाराज।
आम तौर पर समाज के सबसे सभ्य, आदर्श और ज्ञानवान पुरुषों में ऋषि, मुनि, संत महात्माओं का स्थान अव्वल माना गया है। परंतु जो व्यक्ति घर-परिवार और समाज में रहकर निष्काम कर्म, उच्च विचारों और सात्विक जीवन का अनुसरण करता है, वह भी संततुल्य ही होता है।
ऐसे ही महान व्यक्तित्व के धनी हैं श्री सी. आर. चौधरी साहब। मधुर आवाज़, तेजोमय व्यक्तित्व और समाज के हर वर्ग के लिए प्रेम व सहायता की भावना रखने वाले इस असाधारण पुरुष को कोटि-कोटि नमन।
01 मार्च 1948 को जन्में श्री सी. आर. चौधरी साहब ने राजस्थान विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर कॉलेज में व्याख्याता के रूप में करियर की शुरुआत की। 1978 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर कई महत्वपूर्ण विभागों में सेवा दी। 2014 में 16वीं लोकसभा में नागौर से सांसद निर्वाचित हुए और केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री के रूप में राष्ट्र सेवा की।
उनकी निष्कलंक सेवा, संयमित जीवन शैली और निःस्वार्थ भावना आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
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